महात्मा गांधी की हत्या

आरएसएस ने की या नहीं इसको लेकर विवाद है. गांधी के मारे जाने को वो सही तो मानते रहे हैं लेकिन हत्या की साजिश से इनकार करते हैं. लेकिन यहां कुछ जानकारियां हैं जो कहती हैं कि गांधी को मारने के पीछे संघ था. गांधी जी की हत्या के मामले में आठ आरोपी थे– नाथूराम गोडसे और उनके भाई गोपाल गोडसे, नारायण आप्टे, विष्णु करकरे, मदनलाल पाहवा, शंकर किष्टैया, विनायक दामोदर सावरकर और दत्तात्रेय परचुरे. इस गुट का नौवां सदस्य दिगंबर रामचंद्र बडगे था जो सरकारी गवाह बन गया था. ये सब आरएसएस या हिंदू महासभा या हिंदू राष्ट्र दल से जुडे हुए थे. अदालत में दी गई बडगे की गवाही के आधार पर ही सावरकर का नाम इस मामले से जुड़ा था और गांधी की हत्या के बाद हिंदू महासभा और आरएसएस पर प्रतिबंध लग गया था. यानी गांधी की हत्या में संघ को क्लीन चिट नहीं दी जा सकती.
mahatma gandhiकुछ जानकारियां हैं जो कहती हैं कि गांधी को मारने के पीछे संघ था
अगर गांधी दस साल और रहते तो देश में सिद्धांत की राजनीति मजबूत होती. सालों तक स्वतंत्रता सेनानियों पर जुल्म ढाने वाली अफसरशाही ने आजाद होते ही राजनीति को प्रलोभन देने शुरू कर दिए कि कहीं नेता उनसे बदला न लें. ये प्रलोभन बाद में करप्शन में बदल गए. गांधी होते तो देश करप्ट नहीं होता. वो देश को सैद्धांतिक राजनीति में पाग कर जाते. कपूर कमीशन की रिपोर्ट ने भी गांधी की हत्या में हिंदूवादियों का ही हाथ बताया था.

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