नेताजी सुभाष चंद्र बोस से गद्दारी


जब भारत की आजादी के लिए नेता जी सुभाषचंद्र बोस जापान की मदद लेने गए थे तो संघ ने अंग्रेजों का साथ दिया. हिंदू महासभा ने ‘वीर’ सावरकर के नेतृत्व में ब्रिटिश फौजों में भर्ती के लिए शिविर लगाए. हिंदुत्ववादियों ने अंग्रेज शासकों के समक्ष मुकम्मल समर्पण कर दिया था जो ‘वीर’ सावरकर के निम्न वक्तव्य से और भी साफ हो जाता है-
‘जहां तक भारत की सुरक्षा का सवाल है, हिंदू समाज को भारत सरकार के युद्ध संबंधी प्रयासों में सहानुभूतिपूर्ण सहयोग की भावना से बेहिचक जुड़ जाना चाहिए जब तक यह हिंदू हितों के फायदे में हो. हिंदुओं को बड़ी संख्या में थल सेना, नौसेना और वायुसेना में शामिल होना चाहिए और सभी आयुध, गोला-बारूद, और जंग का सामान बनाने वाले कारखानों वगैरह में प्रवेश करना चाहिए…'
netaji subhash chandra boseआजादी के लिए नेता जी जब जापान की मदद लेने गए तो संघ ने अंग्रेजों का साथ दिया
गौरतलब है कि युद्ध में जापान के कूदने के कारण हम ब्रिटेन के शत्रुओं के हमलों के सीधे निशाने पर आ गए हैं. इसलिए हम चाहें या न चाहें, हमें युद्ध के कहर से अपने परिवार और घर को बचाना है और यह भारत की सुरक्षा के सरकारी युद्ध प्रयासों को ताकत पहुंचा कर ही किया जा सकता है. इसलिए हिंदू महासभाइयों को खासकर बंगाल और असम के प्रांतों में, जितना असरदार तरीके से संभव हो, हिंदुओं को अविलंब सेनाओं में भर्ती होने के लिए प्रेरित करना चाहिए’ (स्रोत- वीर सावरकर समग्र वांड्मय)


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