भारत की आजादी के उपलक्ष्य में आरएसएस के मुखपत्र ‘द ऑर्गेनाइजर’ में प्रकाशित संपादकीय में संघ ने भारत के तिरंगे झंडे का विरोध किया था, और यह घोषणा की थी कि ‘‘हिंदू इस झंडे को न कभी अपनाएंगे, न कभी इसका सम्मान करेंगे.’’ बात को स्पष्ट करते हुए संपादकीय में कहा गया कि ‘‘ये ‘तीन’ शब्द ही अपने आप में अनिष्टकारी है और तीन रंगों वाला झंडा निश्चित तौर पर खराब मनोवैज्ञानिक प्रभाव डालेगा और यह देश के लिए हानिकारक साबित होगा.’’
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